✥ राजस्थान के एकीकरण से पूर्व राजस्थान 19 रियासतो 3 ठिकानो व 1 केंद्र शासित प्रदेश में विभक्त था । इसी तरह आजादी से पूर्व सम्पूर्ण भारत 2 भागो में विभाजित था जिसमें एक भाग ब्रिटिश भारत व दूसरा भाग देशी रियासतों में विभक्त था । ब्रिटिश शासन ने इस विभाजित भारत को एक संगठित भारत बनाने के लिए प्रयास किये जिसके अंतर्गत भारत शासन अधिनियम 1935 में यह अनुबंध किया गया कि ब्रिटिश भारत व देशी रियासतों को संगठित करके अखिल भारतीय संघ का निर्माण किया जायेगा । हालाँकि अखिल भारतीय संघ के निर्माण का यह प्रयास असफल रहा जिसका प्रमुख कारण था देशी रियासतों के शासकों की अखिल भारतीय संघ बनाने में दिलचस्पी नहीं लेना ।
✥ इसके अलावा गवर्नर जनरल लॉर्ड लिनलिथगो (1936-44) ने भी अखिल भारतीय संघ बनाकर भारत को संगठित करने का प्रयास किया था लेकिन वह भी इस कार्य को करने में असफल रहे । इसी तरह बाद में क्रिप्स मिशन व कैबिनेट मिशन ने भी ऐसे प्रयास किये लेकिन संगठित भारत बनाने के सभी प्रयास असफल रहे ।
✥ इसी प्रकार 25-26 जुन 1946 को मेवाड़ महाराणा भूपाल सिंह ने उदयपुर में गुजरात व मालवा के शासकों के साथ मिलकर राजस्थान यूनियन बनाने की सिफारिश की, जिसमें कुल 22 रियासतों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था । 23 मई 1947 को एक बार फिर उदयपुर में सम्मेलन बुलाया गया हालाँकि इस बार कई प्रतिनिधियों ने इस सम्मेलन में हिस्सा भी नहीं लिया जिसका प्रमुख कारण शासकों की अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते राजस्थान यूनियन के गठन में रूचि न लेना ।
✥ इसके अलावा जयपुर के शासक सवाई मान सिंह - II और उनके प्रधान मंत्री वी.टी. कृष्णामाचारी अलवर व करोली को जयपुर में सम्मिलित करना चाहते थे । वहीं डूंगरपुर के शासक लक्ष्मण सिंह ने बांसवाड़ा और प्रतापगढ़ के शासको को बुलाकर वागड़ संघ बनाने की योजना बनाई । इसके अतिरिक्त कोटा के शासक भीम सिंह ने बूंदी और झालावाड़ के शासकों के साथ बैठक करके हाड़ोती संघ बनाने की रुपरेखा तैयार की थी । शासकों की वयक्तिगत महत्वाकांक्षाओं के चलते इस प्रकार के अनेको प्रयास विफल रहे ।
✥ भारत की अंतरिम सरकार ने 5 जुलाई 1947 को रियासती विभाग का गठन किया तथा सरदार वल्लभ भाई पटेल को इस विभाग का अध्यक्ष बनाया गया । वी.पी. मेनन को रियासती विभाग का सचिव बनाया गया । रियासती विभाग ने यह प्रावधान किया कि जिन रियासतों की जनसंख्या 10 लाख से अधिक व आय 1 करोड़ से अधिक है तो वह रियासत अपना स्वतंत्र अस्तित्व रख सकती है तथा शेष रियासतों को पास के प्रांतों में विलित कर दिया जायेगा ।
✥ चूँकि सभी देशी रियासतों ने सहायक संधियाँ करके अपनी सुरक्षा व विदेशी मामले अंग्रेजों को सौंप दिए थे इसलिए 18 जुलाई 1947 को भारत स्वतंत्रता अधिनियम - 1947, धारा 8 के तहत सभी रियासतों को उनके सभी अधिकार वापस लौटा दिए गए जो अधिकार उन्होंने सहायक संधि करते समय ब्रिटिश सत्ता को सौंपे थे । इसी के साथ यह भी प्रावधान कर दिया कि कोई रियासत स्वतंत्र रहे या भारत अथवा पाकिस्तान में सम्मिलित हो यह उनकी स्वेच्छा पर निर्भर हैं ।
✥ 1947 में अंतिम ब्रिटिश गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन ने पहली बार नरेंद्र मंडल को संबोधित किया था । उस समय वहाँ पर उपस्थित देश के सभी देशी रियासतों के शासकों व प्रतिनिधियों के समक्ष लॉर्ड माउंटबेटन ने दो प्रमुख शर्तें रखी थी जिसके तहत उन्होंने कहा कि या तो देशी राज्य अपना स्वतंत्र अस्तित्व बनाये रखें अथवा सम्मिलन पत्र (विलय पत्र) पर हस्ताक्षर करके भारत अथवा पाकिस्तान में शामिल हो जाये ।
✥ भोपाल के नवाब हमीदुद्दौला अपनी रियासत के साथ राजस्थान की धोलपुर व् जोधपुर रियासतों को भी पाकिस्तान में मिलाना चाहते थे । इसी बीच हमीदुद्दौला ने मोहमद अली जिन्ना के साथ जोधपुर के शासक हनुमन्त सिंह की वार्ता भी करवा दी जिसमें तय हुआ कि कराची बंदरगाह सहित अनेकों सुविधाए जोधपुर नरेश को प्रदान की जाएगी । लेकिन जोधपुर व धौलपुर रियासत के शासकों के साथ उदयपुर महाराणा भूपाल सिंह, बीकानेर महाराजा सार्दुल सिंह व सरदार पटेल के प्रयासों के बाद इन रियासतों को राजस्थान में शामिल होने के लिए राजी कर लिया गया ।
राजस्थान का एकीकरणराजस्थान का एकीकरण 18 मार्च 1948 को प्रारंभ हुआ व 1 नवम्बर 1956 को पूर्ण हुआ था जिसमें कुल 8 वर्ष 7 माह व 14 दिन का समय लगा था ।
क्र. सं. | उद्घाटन दिनांक | चरण का नाम | शामिल रियासतें | राजप्रमुख | प्रधानमंत्री |
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1 | 18 मार्च 1948 | मत्स्य संघ |
अलवर भरतपुर धौलपुर करौली ( नीमराणा ) |
उदयभान सिंह | शोभाराम कुमावत |
2 | 25 मार्च 1948 | पूर्वी राजस्थान अथवा राजस्थान संघ |
कोटा , बूंदी झालावाड़ डूंगरपुर बांसवाड़ा प्रतापगढ़ किशनगढ़ शाहपुरा ( कुशलगढ़ ) |
भीम सिंह | गोकुल लाल असावा |
3 | 18 अप्रैल 1948 | संयुक्त राजस्थान | उदयपुर | भूपाल सिंह | माणिक्य लाल वर्मा |
4 | 30 मार्च 1949 | वृहद राजस्थान | जयपुर जोधपुर जैसलमेर बीकानेर ( लावा ) |
सवाई मान सिंह | हीरालाल शास्त्री |
5 | 15 मई 1949 | संयुक्त वृहद राजस्थान | वृहद राजस्थान + मत्स्य संघ |
सवाई मान सिंह | हीरालाल शास्त्री |
6 | 26 जनवरी 1950 | राजस्थान | सिरोही * | सवाई मान सिंह |
हीरालाल शास्त्री ( मुख्यमंत्री ) |
7 | 1 नवंबर 1956 | वर्तमान राजस्थान | माउंट आबू देलवाड़ा अजमेर-मेरवाड़ा |
गुरूमुख निहाल सिंह ( राज्यपाल ) |
मोहन लाल सुखाड़िया ( मुख्यमंत्री ) |