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Rajasthan Political GK
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Sawami Vivekanand

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12, 36 और अनुच्छेद 152 में राज्य शब्द को परिभाषित किया गया है । भारत की राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के मध्य मुद्दों और अधिकारों को पृथक करने के लिए संविधान की अनुसूची 7 में वर्णन किया गया है । इस अनुसूची में 3 सूची शामिल है जो की राज्य सूची, संघ सूची और समवर्ती सूची है ।

Raj Map ✥ राज्य सूची में आने वाले विषयों पर कानून बनाने का अधिकार राज्य की विधान सभा का होता है । यदि राज्य का विधानमंडल कोई ऐसा कानून बनाता है जोकि किसी अन्य ऐसे कानून या अधिनियम का उलंघन करता है जिसे समवर्ती सूची के विषय पर संसद के द्वारा बनाया गया हो, तब ऐसी स्थिति में संसद के द्वारा बनाया गया कानून प्रभावी होगा । भारत में राज्य सरकार की अपेक्षा केंद्र सरकार अधिक शक्तिशाली होती है । कुछ परिस्थितियों में राज्य सूची के विषयों पर संसद को कानून बनाने के अधिकार प्राप्त हैं जिसके तहत राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अगर राजयसभा से दो तिहाई बहुमत पारित हो जाए या सम्बंधित राज्य के विधानमंडल की सहमति हो ऐसी परिस्तिथि में संसद राज्य सूची के विषय पर कानून बना सकती है ।

राज्यपाल

✥ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 के अनुसार, प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा । 1956 में सातवें संविधान संशोधन से इस अनुच्छेद में एक और लाइन को जोड़ा गया जिसके अनुसार एक व्यक्ति को एक अथवा एक से अधिक राज्यों का राज्यपाल बनाया जा सकता हैं ।

1. राज्यपाल बनने की योगयता -

✥ अनुच्छेद 157 में राज्य का राज्पाल बनने के लिए आवश्यक योग्यताओं का अनुबंध किया गया हैं जिसके अनुसार वह -

i. भारत का नागरिक होना चाहिए इसके साथ ही ii. उसकी न्यूनतम उम्र 35वर्ष होनी चाहिए

Note : भारत में यह परम्परा रही हैं की किसी व्यक्ति को उस राज्य में राजयपाल के पद पर पदस्थापित नहीं किया जाता है जिस राज्य का वह मूल निवासी हैं हालाँकि इस प्रकार की व्यवस्था का उल्लेख संविधान में उल्लेखित नहीं हैं ये परम्परा मात्र हैं । पश्चिम बंगाल के धर्मवीर सिंह को उनके ही राज्य में राज्यपाल बनाकर इस परम्परा का एक बार उलंघन भी किया गया हैं ।

2. राज्यपाल की नियुक्ति -

✥ संविधान के अनुच्छेद 155 में राज्यपाल की नियुक्ति के बारे में उल्लेख किया गया हैं जिसके तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा मंत्रिपरिषद की सलाह पर एक समन/परिपत्र (warrant) जारी किया जाता हैं जिसके द्वारा किसी राज्य में राज्यपाल की नियुक्ति की जाती हैं तथा इस परिपत्र को सम्बंधित राज्य का मुख्य सचिव विधानसभा में पढ़कर सुनाता हैं उसके पच्छात राज्यपाल के शपथ ग्रहण का कार्यक्रम रखा जाता हैं ।

✦ सरकारिया आयोग

जून 1983 में इंदिरा गांधी के शासन काल में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश रणजीत सिंह सरकारिया की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य केंद्र तथा राज्यों के मध्य सम्बन्धों का विश्लेषण करना था । सरकारिया आयोग ने राज्यपाल के सम्बन्ध में यह सिफ़ारिश की थी कि जब राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर राज्यपाल की नियुक्ति करता हैं तब उसे संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से भी परामर्श लेना चाहिए । सरकारिया आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को 1988 में सौंपी लेकिन इस रिपोर्ट पर सरकार के द्वारा उचित कार्यवाही नहीं की गयी ।

✦ पुंछी आयोग

27 अप्रैल 2007 को मनमोहन सिंह के शासन काल में सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी की अध्यक्षता में पुंछी आयोग का गठन किया गया । इस आयोग ने केंद्र तथा राज्यों के मध्य सम्बन्धों का विश्लेषण करके 7खंडो की रिपोर्ट 30 मार्च 2010 को सरकार के समक्ष रखी जिसमे कुल 273 सिफारिशें की गई थी । पुंछी आयोग ने राज्यपाल की नियुक्ति के सम्बन्ध में एक कॉलेजियम के गठन की सिफारिश की थी जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होगा तथा गृहमंत्री, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष व विपक्ष का नेता इस आयोग के सदस्य होंगे लेकिन केंद्र सरकार ने इस सिफ़ारिश को भी अस्वीकार कर दिया ।

3. राज्यपाल की शपथ का उल्लेख -

✥ संविधान के अनुच्छेद 159 में राज्यपाल की शपथ के सम्बन्ध में उल्लेख किया गया है । राज्यपाल को शपथ सम्बंधित राज्य के उच्च न्यायालय (High Court) के मुख्य न्यायाधीश के द्वारा दिलवाई जाती हैं तथा मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति की स्थिति में उस न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश के द्वारा राज्यपाल को शपथ दिलवाई जाती हैं । राज्यपाल संविधान और विधि की रक्षा तथा परिरक्षण, संरक्षण और प्रतिरक्षण के साथ ही लोक कल्याण की शपथ लेता है ।

Note : यदि कोई व्यक्ति किसी राज्य में राज्यपाल के पद पर पदस्थापित है और उसे किसी अन्य राज्य के राज्यपाल का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा जाता हैं तो उसे उस राज्य के राज्यपाल पद की शपथ पर्थक रूप से लेनी होगी जिस राज्य में वो अतिरिक्त पदभार ग्रहण करेगा ।

4. राज्यपाल पद की शार्ते -

✥ संविधान के अनुच्छेद 158 में राज्यपाल पद की शर्तो का उल्लेख किया गया हैं जिसके तहत -

i. यदि ऐसे व्यक्ति को राज्यपाल के पद पर नियुक्त किया जाता है जो की संसद या विधानमंडल का सदस्य है तो ऐसी स्थिति में उसको पहले अपने पद से त्यागपत्र देना होगा, ii. राज्यपाल के पद पर उस व्यक्ति को नियुक्त किया जायेगा जो किसी लाभ के पद पर नियुक्त न हो, iii. राज्यपाल के पद पर रहते हुए उसके वेतन में किसी प्रकार का हानि कारक परिवर्तन नहीं किया जायेगा, iv. राज्यपाल के वेतन और भत्ते संसद द्वारा निर्धारित किये जाएंगे, v. यदि किसी व्यक्ति के पास दो या दो से अधिक राज्यों के राज्यपाल का पदभार है तो उस स्थिति में उसके वेतन के अनुपात का निर्धारण राष्ट्रपति के द्वारा किया जायेगा जो की अनुपात की मात्रा में विभक्त होगा । 5. राज्यपाल का कार्यकाल -

✥ संविधान के अनुच्छेद 156 में राज्यपाल के कार्यकाल की अवधि बारे में उल्लेख किया गया हैं ।

i. राज्यपाल, राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यन्त अपने पद पर बने रहते हैं तथा ii. राज्यपाल का कार्यकाल 5वर्ष होगा ।

Note : संविधान में राज्यपाल को हटाने के सम्बन्ध में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया हैं । पुंछी आयोग ने अपनी सिफारिशों में ये उल्लेख किया था कि राज्यपाल को हटाने के लिए अभियोग प्रक्रिया होनी चाहिए । 2010 के बी.पी. सिंघल बनाम भारत संघ वाद में सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि राज्यपाल को राजनैतिक विचार धारा के आधार पर पद से नहीं हटाया जा सकता है बल्कि राज्यपाल स्वयं राष्ट्रपति के नाम अपना इस्तीफा भेज कर अपने पद से त्यगपत्र दे सकता हैं ।

6. राज्यपाल की शक्तियां -

✥ राज्यपाल राज्य के विधान मंडल का अभिन्न अंग होता हैं तथा राज्यपाल के द्वारा विधान सभा के सत्रों को आहूत (बुलाने का काम) किया जाता हैं एवं सत्रावसान (सत्र समाप्त करना) की घोषणा भी राज्यपाल के द्वारा की जाती हैं ।

✩ राज्यपाल की कार्यपालिका शक्तियां - a. अनुच्छेद 154 के तहत राज्य की समस्त कार्यपालिका शक्तियां राज्यपाल के पास होती है और राज्यपाल इन शक्तियों का उपयोग अपने अधीनस्थ अधिकारीयों के सहयोग से करता हैं । b. अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल स्वविवेकिय शक्तियों को छोड़कर अन्य सभी कार्य मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता हैं । c. अनुच्छेद 164 के तहत राज्यपाल राज्य में मुख्यमंत्री की नियुक्ति करता हैं तथा मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्रिमंडल में शामिल अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करता है ।

Note : मूल संविधान में अनुच्छेद 164 के तहत मध्य प्रदेश, बिहार और उड़ीसा के राज्यपाल को एक जनजातीय मंत्री को नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त था लेकिन 94वें संविधान संशोधन 2007 के तहत इस सूची से बिहार को हटा कर छतीछगढ़ और झारखण्ड को शामिल करके वहाँ के राज्यपाल को भी ये शक्ति दे दी गई तथा वर्तमान में इस शक्ति को उपयोग में लेने का अधिकार मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड और उड़ीसा के राज्यपाल को प्राप्त हैं ।

d. अनुच्छेद 166 के तहत राज्य के सभी कार्य राज्यपाल के नाम पर किये जाते हैं तथा राज्यपाल ही मंत्रियों के विभागों का बंटवारा करता हैं तथा विभागों की नियमावली को बनाता हैं । e. अनुच्छेद 167 के तहत राज्यपाल राज्य के मुख्यमंत्री से राज्य के प्रशासन से सम्बंधित जानकारी को प्राप्त करने का अधिकार रखता हैं । f. अनुच्छेद 148 के तहत राज्य में महाधिवक्ता की नियुक्ति करने और उसे शपथ दिलाने का कार्य राज्यपाल के द्वारा किया जाता हैं तथा महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसादपर्यंत पद पर रहता हैं । g. राज्य के विधानमंडल या राज्य सरकार के द्वारा कानून बनाकर स्थापित किये गये राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्ति राज्यपाल करता हैं तथा स्वयं राज्यपाल उस विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है । ✩ राज्यपाल की व्यवस्थापिका शक्तियां ✩ राज्यपाल की वित्तीय शक्तियां ✩ राज्यपाल की न्यायिक शक्तियां
राज्य विधानसभा

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राज्य - प्रमुख आयोग

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राज्य लोकायुक्त

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मुख्यमंत्री

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पंचायती राज व्यवस्था

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